
आज की बदलती जीवनशैली और खानपान के कारण bacho me diabetes एक तेजी से उभरती हुई स्वास्थ्य समस्या बन गई है। पहले डायबिटीज को केवल वयस्कों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह बच्चों और किशोरों को भी प्रभावित कर रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों और किशोरों में डायबिटीज को कैसे पहचाना जाए, इसके लक्षण, कारण, और इलाज की जानकारी।
बच्चों में डायबिटीज के प्रकार
bacho me diabetes मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
- टाइप 1 डायबिटीज:
यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पैंक्रियास की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर देती है। यह अधिकतर बच्चों में पाई जाती है। - टाइप 2 डायबिटीज:
यह पहले वयस्कों में अधिक होती थी लेकिन अब मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता के कारण किशोरों में भी तेजी से बढ़ रही है। इसमें शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता।

बच्चों में डायबिटीज के लक्षण
अगर आपके बच्चे में नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो सतर्क हो जाएं:
- बार-बार पेशाब आना
- अत्यधिक प्यास लगना
- अचानक वजन घटना
- थकान और कमजोरी
- बार-बार संक्रमण होना
- चिड़चिड़ापन या व्यवहार में बदलाव
- धुंधली दृष्टि
इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये bacho me diabetes के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
कारण: बच्चों में शुगर क्यों होता है?
bacho me diabetes होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- आनुवंशिक (Genetic) कारण
- वाइरल संक्रमण
- मोटापा और अस्वस्थ खानपान
- शारीरिक गतिविधि की कमी
- इम्यून सिस्टम का असंतुलन
विशेष रूप से टाइप 1 डायबिटीज में आनुवंशिक और इम्यून सिस्टम की भूमिका प्रमुख होती है।

डायबिटीज की जांच कैसे करें?
अगर आपके बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण हैं, तो निम्नलिखित जांचें कराई जा सकती हैं:
- फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट
- HbA1c टेस्ट (तीन महीने की औसत शुगर)
- C-Peptide और Autoimmune Marker टेस्ट
इन सभी जांचों से यह पता लगाया जा सकता है कि bacho me diabetes टाइप 1 है या टाइप 2।
रोकथाम और देखभाल
- बच्चों को नियमित शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें।
- संतुलित और पौष्टिक आहार दें।
- स्क्रीन टाइम को सीमित करें।
- समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच कराएं।
- डायबिटीज स्पेशलिस्ट से नियमित परामर्श लें।
विशेषज्ञ सलाह: डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव से प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: बच्चों में होने वाले डायबिटीज को क्या कहते हैं?
उत्तर – बच्चों में होने वाले डायबिटीज को मुख्यतः टाइप 1 डायबिटीज कहा जाता है। यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो अधिकतर 5 से 14 वर्ष की आयु के बीच होती है।
प्रश्न 2: क्या बच्चों में डायबिटीज ठीक हो सकती है?
उत्तर – टाइप 1 डायबिटीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकती, लेकिन इंसुलिन थेरेपी और नियमित देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज कुछ मामलों में जीवनशैली में सुधार के साथ रिवर्स हो सकती है।
प्रश्न 3: बच्चों में शुगर होने का क्या कारण है?
उत्तर – इसके मुख्य कारण हैं: जेनेटिक फैक्टर, वाइरल संक्रमण, पैंक्रियास में इंसुलिन उत्पादन की कमी, और मोटापा।
प्रश्न 4: क्या शुगर जड़ से खत्म हो सकती है?
उत्तर – टाइप 1 डायबिटीज जड़ से खत्म नहीं होती, लेकिन इसे पूरी तरह से मैनेज किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज कुछ मामलों में रिवर्स की जा सकती है अगर समय रहते पहचान हो और इलाज शुरू हो।

प्रश्न 5: बच्चों में शुगर लेवल कितना होना चाहिए?
उत्तर – सामान्य फास्टिंग ब्लड शुगर 70-100 mg/dL और भोजन के बाद 140 mg/dL से कम होना चाहिए। अगर इससे ज्यादा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रश्न 6: बच्चों में शुगर किस कमी से होता है?
उत्तर – यह इंसुलिन की कमी से होता है, जो शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने के लिए जरूरी होता है। इंसुलिन की अनुपस्थिति में ब्लड शुगर बढ़ने लगता है।
निष्कर्ष
Bacho me diabetes को समय रहते पहचानना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में गंभीर जटिलताओं से बचा जा सके। यदि आपके बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।
डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, Best Diabetes Doctor in Jabalpur के मार्गदर्शन में आप अपने बच्चे को एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन दे सकते हैं।